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ख़ास अन्दाज़ जब सुखन का ना हो शायरी, शायरी नहीं होती। वेद राही जी का ये शेर उतना ही ख़ूबसूरत हैं , जितना की सच। इसलिए हम लाए हैं तमाम दुनिया के शायरां और शायरों के ख़्वाब-ओ-ख़याल, सिर्फ़ रेडियो के बच्चन (@rjpeeyushsingh) की आवाज़ में। आप सुन रहे हैं एच टी स्मार्टकास्ट और ये है रेडियो नशा प्रोडक्शन |
- 89 - S2E27 | कौन मरता है ज़िंदगी के लिए - Sadat Nazeer
आज का ख्याल शायर सादात नज़ीर साहब की कलम से | शायर कहते है - कौन मरता है ज़िंदगी के लिए, जी रहा हूँ तिरी ख़ुशी के लिए | सादात नज़ीर जी एक जाने माने लेखक और शायर है। उन्होंने कई किताबे लिखी है।
Tue, 2 Nov 2021 - 04min - 88 - S2E26 | बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है - Irfan Siddiqi
आज का ख्याल शायर इरफ़ान सिद्दीकी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है'। इरफ़ान सिद्दीकी सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक शायरों में शामिल थे और अपने नव-क्लासिकी लहजे के लिए विख्यात।
Tue, 26 Oct 2021 - 05min - 87 - S2E5 | खराबी का आग़ाज़ कहा से हुआ यह बताना है मुश्किल- Azam Bahzad
आज का ख्याल शायर आज़म बहज़ाद की कलम से । शायर कहते है -खराबी का कहा से हुआ यह बताना है मुश्किल, कहा ज़ख्म खाये कहा से हुए वार यह भी दिखाना है मुश्किल। आज़म बेहज़ाद ने 1972 में कविता लिखना शुरू किया और सबसे लोकप्रिय समकालीन कवियों रूप में उभरे। उन्हें आलोचकों और जनता द्वारा समान रूप से सराहा गया था। उनके उपन्यास और रूपकों के लिए उनकी बहुत सराहना की गई थी। इसके अलावा, उन्हें जनता द्वारा उनके 'तरन्नुम' के लिए भी पसंद किया जाता था और अक्सर मुशायरों में इसके लिए अनुरोध किया जाता था।
Tue, 19 Oct 2021 - 05min - 86 - S2E24 | तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है - Nida Fazli
आज का ख्याल शायर निदा फाजली साहब की कलम से। शायर कहते है - 'तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है, जहां भी जाऊं ये लगता है, तेरी महफ़िल है'। निदा फाजली हिंदी और उर्दू के मशहूर शायर, गीतकार थे। वे 1964 में मुंबई आए और धर्मयुग पत्रिका और ब्लिट्ज जैसे अखबार में काम किया। उनकी काव्य शैली ने फिल्म निर्माताओं और हिंदी और उर्दू साहित्य के लेखकों को आकर्षित किया।
Tue, 12 Oct 2021 - 07min - 85 - S2E23 | कुंज-ए-तन्हाई - Sabir Alvi
आज का ख्याल शायर साबिर अल्वी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'कुंज-ए-तन्हाई के अफगार में क्या रखा है'।
Fri, 24 Sep 2021 - 04min - 84 - S2E22 | आए हो तो ये हिजाब क्या है - Mushafi Ghulam Hamdani
आज का ख्याल शायर ग़ुलाम हमदानी मुसहफ़ी की कलम से। शायर कहते है - 'आए हो तो ये हिजाब क्या है'। ग़ुलाम हमदानी मुसहफ़ी उर्दू के बड़े शायर हुए। इनके समकालीन और प्रतिद्वंदी इंशा और जुरअत थे। ... यहाँ मीर, दर्द, सौदा और सोज़ जैसे शायर वृद्ध हो चले थे। इनका असर इनकी शाइरी पर पड़ा।
Tue, 21 Sep 2021 - 05min - 83 - SE21 | इतना मालूम है - Parveen Shakir
आज का ख्याल शायर परवीन शाकिर की कलम से। शायर कहते है - 'अपने बिस्तर पे बहुत देर से मैं नीम-दराज़, सोचती थी कि वो इस वक़्त कहाँ पर होगा'। सैयदा परवीन शाकिर, एक उर्दू कवयित्री, शिक्षक और पाकिस्तान की सरकार की सिविल सेवा में एक अधिकारी थीं। ... फ़हमीदा रियाज़ के अनुसार ये पाकिस्तान की उन कवयित्रियों में से एक हैं जिनके शेरों में लोकगीत की सादगी और लय भी है और क्लासिकी संगीत की नफ़ासत भी और नज़ाकत भी।
Tue, 14 Sep 2021 - 07min - 82 - S2E20 | उनसे बढ़ते फासले और मै = Tabish Mehdi
आज का ख्याल शायर तबिश मेहदी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'उनसे बढ़ते फासले और मै'। तबिश मेहदी का जन्म 3 जुलाई 1951 को प्रतापगढ़ में हुआ था। कविता संग्रह पर उनकी पुस्तकें "ताबीर" और "सलसबील" हैं, जो क्रमशः 1998 और 2000 में प्रकाशित हुई हैं। इस एपिसोड में हमारे साथ एक मेहमान शायर भी है और उनका ख्याल है - 'मरना आसान लगने लगा'।
Sat, 11 Sep 2021 - 06min - 81 - S2E19 | पीने की शराब और - Zaheer Dehlvi
आज का ख्याल शायर जहीर देहलवी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'पीने की शराब और जवानी की शराब और'। जहीरुद्दीन को जहीर देहलवी के नाम से जाना जाता था। उनके पिता, सैयद जलालुद्दीन हैदर, सुलेख में शाह ज़फ़र के गुरु थे। जहीर को बचपन से ही शायरी का शौक था। वह चौदह वर्ष की आयु में ज़ोक देल्हवी के शिष्य बन गए।
Tue, 7 Sep 2021 - 04min - 80 - S2E18 | वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा - Iqbal Sajid
आज का ख्याल शायर इक़बाल साजिद साहब की कलम से। शायर कहते है - 'वो चाँद है तो अक्स भी पानी में आएगा, किरदार ख़ुद उभर के कहानी में आएगा'। मोहम्मद इकबाल का जन्म 1932 में सहारनपुर जिले के लंढूरा में हुआ था। विभाजन के बाद वे लाहौर चले गए। उसने दसवीं तक ही पढ़ाई की थी। उनकी गरीबी ने उन्हें अपनी कविता बेचने के लिए मजबूर किया लेकिन यह उनकी कविता की उपयोगिता साबित करता है।
Fri, 3 Sep 2021 - 06min - 79 - S2E17 | इस खुर्दुरी ग़ज़ल को - Muzaffar Hanfi
आज का ख्याल शायर मुज़फ़्फ़र हनफ़ी साहब की कलम से। शायर कहते है - 'इस खुर्दुरी ग़ज़ल को, ना यूं मुंह बना के देख'। मुज़फ़्फ़र हनफ़ी साहब अदब में वह कादिर उल कलाम शायर के रूप में जाने जाते थे। उनकी पहचान एक ऐसे शायर की थी जिसे किसी भी खयाल को शेर में बांधने का हुनर आता था।
Tue, 31 Aug 2021 - 07min - 78 - और बेशक़ ज़माने ने उसे "औरत" कहा- Shaad Aarfi
आज का ख्याल शाद आरफ़ी की कलम से। शायर कहते है - 'देख कर शेर ने उसको नुक्ता-ए-हिकमत कहा,और बेशक़ ज़माने ने उसे "औरत" कहा' | शाद आरफ़ी की गिनती उर्दू के महत्वपूर्ण शायरों में होती है। उन्होंने ग़ज़ल-नज़्म दोनों ही विधाओं में रचना की। शाद एक संवेदनशील व्यक्ति थे, उनकी शायरी में पायी जाने वाली संवेदना ख़ुद उनकी ज़िंदगी के अनुभवों से भी आयी है |
Fri, 27 Aug 2021 - 10min - 77 - S2E15 | मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा - Shakeel Badayuni
आज का ख्याल शायर शकील बदायूनी की कलम से। शायर कहते है - 'मेरे हमनफ़स, मेरे हमनवा, मुझे दोस्त बनके दग़ा न दे'। शकील बदायूनी मसऊदी का जन्म स्थान उत्तर प्रदेश का शहर बदायूँ है। यह एक उर्दू के शायर और साहित्यकार थे। लेकिन इन्होंने बालीवुड में गीत रचनाकार के रूप में नाम कमाया।
Tue, 24 Aug 2021 - 05min - 76 - S2E14 | होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे - Mirza Ghalib
आज का ख्याल शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की कलम से। शायर कहते है - 'बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे'। मिर्ज़ा असदुल्लाह बेग ख़ान, जो अपने तख़ल्लुस ग़ालिब से जाने जाते हैं, उर्दू एवं फ़ारसी भाषा के एक महान शायर थे। इनको उर्दू भाषा का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है और फ़ारसी कविता के प्रवाह को हिन्दुस्तानी जबान में लोकप्रिय करवाने का श्रेय भी इनको दिया जाता है।
Fri, 20 Aug 2021 - 06min - 75 - S2E13 | ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में - Gulzar | Gulzar Sahab B'day Special
आज का ख्याल शायर गुलज़ार साहब की कलम से। शायर कहते है - 'ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में, एक पुराना ख़त खोला अनजाने में'। ये एक स्पेशल एपिसोड है गुलज़ार साहब की जन्मदिन के मौके पर। अगर आपको भी गुलज़ार साहब की कलम से मोहब्बत है तो आइये @htsmartcast के सोशल मीडिया हैंडल पर और साथ मनाइये गुलज़ार साहब का जन्मदिन।
Tue, 17 Aug 2021 - 05min - 74 - S2E12 | वो हमसफ़र था - Naseer Turabi
आज का ख्याल शायर नसीर तुराबी की कलम से। शायर कहते है - 'वो हम-सफ़र था मगर उस से हम-नवाई न थी'। नसीर तुराबी उर्दू के अजीम शायर हैं जिनका फन जगजाहिर है। नसीर साहब की पैदाइश निजाम के शहर हैदराबाद से थी। लेकिन भारत पाकिस्तान बंटवारे के वक्त उनके पिता परिवार सहित पाकिस्तान के कराची में जाकर बस गए।
Fri, 13 Aug 2021 - 07min - 73 - S2E11 | आए जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूं - Behzad Lucknavi
आज का ख्याल शायर बेहज़ाद लखनवी की कलम से। शायर कहते है - 'आए जज़्बा-ए-दिल गर मैं चाहूं'। बेहज़ाद लखनवी एक पाकिस्तानी उर्दू कवि और गीतकार थे। उन्होंने मुख्य रूप से नात और ग़ज़लें लिखीं और कभी-कभी ऑल इंडिया रेडियो, दिल्ली के लिए और बाद में पाकिस्तान में प्रवास के बाद रेडियो पाकिस्तान के लिए रेडियो नाटक लिखे।
Tue, 10 Aug 2021 - 07min - 72 - S2E10 | कौन आयेगा यहाँ - Kaif Bhopali
आज का ख्याल शायर कैफ़ भोपाली की कलम से। शायर कहते है - 'कौन आयेगा यहाँ कोई न आया होगा'। कैफ़ भोपाली एक भारतीय उर्दू शायर और फ़िल्मी गीतकार थे। वे 1972 में बनी कमाल अमरोही की फिल्म पाक़ीज़ा में मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाये गीत "चलो दिलदार चलो..." से लोकप्रिय हुए।
Fri, 6 Aug 2021 - 05min - 71 - S2E9 | मैं तो दरिया हूं समुंदर में उतर जाऊंगा - Ahmad Nadeem Qasmi
आज का ख्याल शायर अहमद 'नदीम' क़ासमी की कलम से। शायर कहते है - 'मैं तो दरिया हूं समुंदर में उतर जाऊंगा'।अहमद 'नदीम' क़ासमी तरक़्क़ी-पसंद शायर के तौर पर पहचाने जाते हैं. इसके अलावा वह एक मशहूर अफ़साना निगार भी रहे। उन्होंने 'फ़नून' नाम से एक अदबी रिसाला भी जारी किया।
Tue, 3 Aug 2021 - 06min - 70 - S2E8 | बड़ा अँधेरा है - Saghar Siddiqui
आज का ख्याल शायर साग़र सिद्दीक़ी की कलम से। शायर कहते है - चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है। साग़र सिद्दीक़ी 1928 में अंबाला में पैदा हुए। उनका ख़ानदानी नाम मुहम्मद अख़्तर था। साग़र के घर में बदतरीन ग़ुरबत थी। इस एपिसोड में आप में से एक मेहमान शायर भी है। शायर का नाम है - मनीष चंद्रा और उनका ख्याल है 'वक़्त की चीखें सुनाई नहीं देती हमको'।
Fri, 30 Jul 2021 - 07min - 69 - S2E7 | दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर - Bekhud Dehlvi
आज का ख्याल शायर बेख़ुद देहलवी की कलम से। शायर कहते है - दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर। खुद देहलवी जी का जन्म 21 मार्च 1863 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था इनका पूरा नाम सईद वहीदुद्दीन अहमद था ये एक प्रसिद्ध उर्दू के शायर के नाम से प्रसिद्ध थे और इनकी मृत्यु 2 अक्टूबर 1955 में हुई |
Tue, 27 Jul 2021 - 11min - 68 - S2E6 | मुझसे पहली सी मुहब्बत - Faiz Ahmad Faiz | Tribute to Surekha Seekri
आज का ख्याल शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कलम से। शायर कहते है - मुझसे पहली सी मुहब्बत, मेरे मेहबूब ना माँग। इस एपिसोड में पीयूष ने याद किया है मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री सुरेखा सीकरी जी को, जीना बीते दिन ही दिहांत हुआ।
Fri, 23 Jul 2021 - 06min - 67 - S2E5 | ग़म हर इक आँख को छलकाए - Fana Nizami Kanpuri
आज का ख्याल शायर फ़ना निज़ामी कानपुरी की कलम से। शायर कहते है - ग़म हर इक आँख को छलकाए जरूरी तो नहीं। फ़ना पारंपरिक ग़ज़ल-शायरी के रस-रंग, सुगंध, भाव और लय को अपने एक नए अन्दाज़ से पेश करने वाले प्रमुख शायर थे, जिन्होंने ज़बरदस्त लोकप्रियता हासिल की।
Tue, 20 Jul 2021 - 06min - 66 - S2E4 | ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है - Hafeez Jalandhari
आज का ख्याल शायर ख़्वाजा हफ़ीज़ जालंधरी की कलम से। शायर कहते है - ये मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं होती है। हफ़ीज़ जालंधरी ने 11 वर्ष की उम्र से नियमित शायरी शुरू कर दी थी। हफ़ीज़ जालंधरी के क़लाम के 3 संकलन प्रकाशित हुए हैं।1-नग़्म-ए-ज़ार 2- सोज़ो-साज़ 3- तल्ख़ाबा शीरीं। इस एपिसोड में आप में से एक मेहमान शायर भी है। शायर का नाम है - लल्लन और उनका ख्याल है 'फिर रात तवे पर है'।
Fri, 16 Jul 2021 - 08min - 65 - S2E3 | ये आरज़ू थी - Haidar Ali Aatish
आज का ख्याल शायर ख़्वाजा हैदर अली 'आतिश' की कलम से। शायर कहते है - ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते, हम और बुलबुल-ए-बेताब गुफ़्तगू करते। आतिश बुनियादी तौर पर इश्क़-ओ-आशिक़ी के शायर थे। आतिश, मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन, 19वीं सदी में उर्दू ग़ज़ल का चमकता सितारा थे।
Tue, 13 Jul 2021 - 07min - 64 - S2E2 | इक पल में इक सदी का मज़ा - Khumar Barabankvi
आज का ख्याल शायर ख़ुमार बाराबंकवी की कलम से। शायर कहते है - इक पल में इक सदी का मज़ा हम से पूछिए। 15 सितम्बर 1919 को जन्मे खुमार बाराबंकवी का मूल नाम मोहम्मद हैदर खान था। महान शायर और गीतकार मजरूह सुलतानपुरी उनके अज़ीज़ दोस्त थे।
Fri, 9 Jul 2021 - 07min - 63 - S2E1 | मगर ये ज़ख्म ये मरहम - Jaun Elia
आप सब से बेहद प्यार बटोरने के बाद, RJ पीयूष बापस आ गए है सीजन-2 के साथ। सीजन-2 का पहला ख्याल विख्यात शायर जॉन एलिया की कलम से। जॉन एलिया का जन्म 14 दिसंबर 1931 को अमरोहा में हुआ। यह अब के शायरों में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले शायरों में शुमार हैं। शायद, यानी, गुमान इनके प्रमुख संग्रह हैं। इनकी मृत्यु 8 नवंबर 2002 में हुई।
Fri, 2 Jul 2021 - 07min - 62 - 60: आ के वाबसता हैं | Faiz Ahmed Faiz - The Season FinaleThu, 14 May 2020
- 61 - 59: करोगे याद | Bashar Nawaz | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a PoetWed, 13 May 2020
- 60 - 58: अँधा कबाड़ी | Noon Meem Rashid | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a PoetTue, 12 May 2020
- 59 - 57: न हारा है इश्क और न दुनिया थकी है | Khumar Baravankvi | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a PoetTue, 12 May 2020
- 58 - 56: ये दिल ये पागल मेरा | Mohsin Naqvi | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a PoetTue, 12 May 2020
- 56 - 55: आ के पत्थर | Shakeb Jalali | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a PoetThu, 07 May 2020
- 55 - 54: मजदूर है हम, मजबूर है हम | Jameel Mazhari | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a poetThu, 07 May 2020
- 54 - 53: अब सो जाओ | Fahmida Riaz | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a poetआज का ख़्याल फ़हमीदा रियाज की तरफ से। फ़हमीदा रियाज करीब सात सालों तक भारत में रहीं। दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय में रहकर हिंदी पढ़ना सीखा और फिर जब अपने देश पाकिस्तान वापस लौटीं तो बेनजीर भुट्टो की सरकार में सांस्कृतिक मंत्रालय से जुड़ गईं। सुनिए उनकी रचना और उनके जीवन के बारे में @radiokabachchan के साथ।Tue, 05 May 2020
- 53 - 52: तेरे चेहरा | Kaifi Bhopali | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a poetMon, 04 May 2020
- 52 - 51: कल चौदहवीं की रात थी | IBN E INSHA | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a poetFri, 01 May 2020
- 51 - 50: तुम्हे भी याद आना है, आना तो है नहीं | Rehman Faris | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a poetThu, 30 Apr 2020
- 50 - 49: दिल में खून आँखों में पानी बोहत | Shabnam Shakeel | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a poetWed, 29 Apr 2020
- 49 - 48: वो जो हम में तुम में करार था | Momin Khan Momin | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a poetTue, 28 Apr 2020
- 48 - 47: मैं साइमन न्याय के कटघरे में खड़ा हूं | Ramashankar Yadav 'Vidrohi' | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a poetआज का ख़याल - मैं साइमन न्याय के कटघरे में खड़ा हूं...
'विद्रोही' को इस खयाल में बेबीलोनिया से लेकर मेसोपोटामिया तक प्राचीन सभ्यताओं के मुहाने पर एक औरत की जली हुई लाश और इंसानों की बिखरी हुई हड्डियां मिलती हैं, जिसका सिलसिला अंतत: सीरिया के चट्टानों से लेकर बंगाल के मैदानों तक चला जाता है।
सुनिए उनका ये ख़याल @radiokabachchan के साथ।Mon, 27 Apr 2020 - 47 - 46: एक लड़की थी | Hafeez Jalandhari | Urdu Shayari | Famous Poetry | Life of a poetWed, 22 Apr 2020
- 46 - 45: उस मोड़ पर | Makhdoom MohiuddinMon, 20 Apr 2020
- 45 - 44: थकना भी लाज़मी था कुछ काम करते करते | Zafar IqbalFri, 17 Apr 2020
- 44 - 43: ज़ुल्फ़ को अब्र का टुकड़ा | Anwar JalalpuriThu, 16 Apr 2020
- 43 - 42: एक और साल गिरह | ShahryarWed, 15 Apr 2020
- 42 - 41: सितारों तुम तो सो जाओ | Qateel ShifaiTue, 14 Apr 2020
- 41 - 40: ये हम गुनाहगार औरतें हैं | Kishwar NaheedMon, 13 Apr 2020
- 40 - 39: आशिक़ | Ameer MinaiFri, 10 Apr 2020
- 39 - 38: अपनी तस्वीर को आँखों से लगाता क्या है | Shahzad AhmadThu, 09 Apr 2020
- 38 - 37: उठा | Fani BadayuniWed, 08 Apr 2020
- 37 - 36: मिरे ख़ुदा मुझे इतना तो मो'तबर कर दे | Iftikhar ArifTue, 07 Apr 2020
- 36 - 35: ऐसा हो नहीं सकता | Muztar KhairabadiMon, 06 Apr 2020
- 35 - 34: दोस्तों की बात है, दुश्मनों से क्या कहूं | Nushoor WahidiFri, 03 Apr 2020
- 34 - 33: मैं किसके नाम लिखूं | Obaidullah AleemThu, 02 Apr 2020
- 33 - 32: मुझे पता था | Rajinder Manchanda BaniWed, 01 Apr 2020
- 32 - 31: हमसे झूठ ही बोलो | Ada JafriTue, 31 Mar 2020
- 31 - 30: लंबी है गम की शाम | Faiz Ahmad FaizMon, 30 Mar 2020
- 30 - 29: तो कैसे काटूँ अँधेरी रतियाँ | Amir KhusrowFri, 27 Mar 2020
- 29 - 28: यहाँ ऐसा नहीं होगा | Munawwar RanaThu, 26 Mar 2020
- 28 - 27: हर एक बात पर कहते हो तुम | Mirza GhalibTue, 24 Mar 2020
- 27 - 26: वही ताज है वही तख़्त है | Bashir BadrMon, 23 Mar 2020
- 26 - 25: ज़माने से हम नहीं | Jigar MoradabadiFri, 20 Mar 2020
- 25 - 24: लोग | Rahi Masoom RazaThu, 19 Mar 2020
- 24 - 23: मकान | GulzarWed, 18 Mar 2020
- 23 - 22: तुमसे पहले | Habib JalibTue, 17 Mar 2020
- 22 - 21: सितारों से आगे जहाँ और भी हैं | ALLAMA IQBALMon, 16 Mar 2020
- 20 - 20: Female Bull-fighter | Azra AbbasSat, 14 Mar 2020
- 19 - 19: ओ मेरे मसरूफ़ ख़ुदा | Nasir KazmiThu, 12 Mar 2020
- 18 - 18: एक यह दिन, एक वह दिन | Javed AkhtarWed, 11 Mar 2020
- 17 - 17: मैं नशे में हूँ | Meer Taqi MeerTue, 10 Mar 2020
- 16 - 16: अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे | Sheikh Ibrahim ZauqMon, 09 Mar 2020
- 15 - 15: तुम्हारे ख़त में | Daag Dehalvi'तुम्हारे ख़त में' दाग़ देहलवी का ये एक बहुत खूबसूरत ख्याल हैं। नवाब मिर्जा खाँ 'दाग़', उर्दू के प्रसिद्ध कवि थे। इनका जन्म सन् 1831 में दिल्ली में हुआ। नवाब साहब की दाग देहलवी बनने की दास्ताँ सुनिए @radiokabachchan के साथ। ऐसे ही और पॉडकास्ट आप यहाँ सुन सकते हैं।Fri, 06 Mar 2020
- 14 - 14: नया एक रिश्ता पैदा क्यों करें हम | Jaun EliyaWed, 04 Mar 2020
- 13 - 13: सवाल | Rahat IndoriTue, 03 Mar 2020
- 12 - 12: मकान | Kaifi AzmiMon, 02 Mar 2020
- 11 - 11: एक आँसू गिरा सोचते-सोचते | Naqsh LayalpuriFri, 28 Feb 2020
- 10 - 10: माँ है रेशम के कार-ख़ाने में | Ali Sardar JafriThu, 27 Feb 2020
- 9 - 9: गरज़ बरस प्यासी धरती पर | Nida FazliWed, 26 Feb 2020
- 8 - 8: बेहोशियों ने और ख़बरदार कर दिया | Josh MalihabadiTue, 25 Feb 2020
- 7 - 7: हमेशा देर कर देता हूँ | Muneer NiyaziMon, 24 Feb 2020
- 6 - 6: तू इस कदर मुझे करीब लगता है | Jaan Nisaar AkhtarFri, 21 Feb 2020
- 5 - 5: आज की रात | Asrarul Haq MajazThu, 20 Feb 2020
- 4 - 4: फ़िराक़ एक नई सूरत निकल तो सकती है | Firaq GorakhpuriWed, 19 Feb 2020
- 3 - 3: चांदी वाले, शीशे वाले, आँखों वाले शहर में | Ali Akbar NatiqTue, 18 Feb 2020
- 2 - 2: भले दिनों की बात है | Ahmad FarazMon, 17 Feb 2020
- 1 - 1: ये आग की बात है | Amrita PritamFri, 14 Feb 2020
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