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- 15 - Mahishasuramardini-20-21
तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते किमु पुरुहूत-पुरीन्दुमुखी-सुमुखीभिरसौ विमुखी क्रियते । मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ २० ॥ अयि मयि दीनदयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे अयि जगतो जननी कृपयाऽसि यथाऽसि तथाऽनुमितासिरते । यदुचितमत्र भवत्युररि कुरुतादुरुतापमपाकुरुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ २१ ॥
Mon, 28 Mar 2016 - 14 - Mahishasuramardini-18-19
पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं स शिवे अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् । तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ १८ ॥ कनकलसत्कल-सिन्धुजलैरनुसिञ्चिनुते गुण-रङ्गभुवम् भजति स किं न शचीकुच-कुम्भ-तटी-परिरम्भ-सुखानुभवम् । तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम् जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ १९ ॥
Mon, 21 Mar 2016 - 13 - Mahishasuramardini-16-17
कटितट-पीत-दुकूल-विचित्र-मयूख-तिरस्कृत-चन्द्ररुचे प्रणत-सुरासुर-मौलिमणिस्फुर-दंशुल-सन्नख-चन्द्ररुचे । जित-कनकाचल-मौलिपदोर्जित-निर्भर-कुञ्जर-कुम्भकुचे जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ १६ ॥ विजित-सहस्रकरैक-सहस्रकरैक-सहस्रकरैकनुते कृतसुरतारक-सङ्गरतारक-सङ्गरतारक-सूनुसुते । सुरथ-समाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ १७ ॥
Mon, 14 Mar 2016 - 12 - Mahishasuramardini-14-15
कमल-दलामल-कोमल-कान्ति कलाकलितामल-भाललते सकल-विलास-कलानिलयक्रम-केलि-चलत्कल-हंसकुले । अलिकुल-सङ्कुल-कुवलय-मण्डल-मौलिमिलद्भकुलालि-कुले जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ १४ ॥ करमुरली-रव-वीजित-कूजित-लज्जित-कोकिल-मञ्जुमते मिलित-पुलिन्द-मनोहर-गुञ्जित-रञ्जितशैल-निकुञ्जगते । निजगुणभूत-महाशबरीगण-सद्गुण-सम्भृत-केलितले जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ १५ ॥
Mon, 07 Mar 2016 - 11 - Mahishasuramardini-12-13
सहित-महाहव-मल्लम-तल्लिक-मल्लित-रल्लक-मल्लरते विरचित-वल्लिक-पल्लिक-मल्लिक-भिल्लिक-भिल्लिक-वर्गवृते । सितकृत-फुल्लसमुल्ल-सितारुण-तल्लज-पल्लव-सल्ललिते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ १२ ॥ अविरल-गण्ड-गलन्मद-मेदुर-मत्त-मतङ्गज-राजपते त्रिभुवन-भूषण-भूत-कलानिधि रूप-पयोनिधि राजसुते । अयि सुद-तीजन-लालसमानस-मोहन-मन्मथ-राजसुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते॥ १३ ॥
Mon, 29 Feb 2016 - 10 - Mahishasuramardini-11
अयि सुमनः सुमनः सुमनः सुमनः सुमनोहर-कान्तियुते श्रित-रजनी-रजनी-रजनी-रजनी-रजनीकर-वक्त्रवृते । सुनयन-विभ्रमर-भ्रमर-भ्रमर-भ्रमर-भ्रमराधिपते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ११ ॥
Mon, 22 Feb 2016 - 9 - Mahishasuramardini-10
जय जय जप्य-जयेजय-शब्द-परस्तुति-तत्पर-विश्वनुते भण-भण-भिञ्जिमि-भिङ्कृत-नूपुर-सिञ्जित-मोहित-भूतपते । नटित-नटार्ध-नटीनट-नायक-नाटित-नाट्य-सुगानरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १० ॥
Mon, 15 Feb 2016 - 8 - Mahishasuramardini-09
सुरललना-ततथेयि-तथेयि-तथाभिनयोदर-नृत्य-रते हासविलास-हुलास-मयिप्रण-तार्तजनेमित-प्रेमभरे । धिमिकिट-धिक्कट-धिक्कट-धिमिध्वनि-घोरमृदङ्ग-निनादरते जय जय हे महिषासुर-मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ९ ॥
Mon, 08 Feb 2016 - 7 - Mahishasuramardini-08
धनुरनु-सङ्ग-रणक्षणसङ्ग-परिस्फुर-दङ्ग-नटत्कटके कनक-पिशङ्ग-पृषत्क-निषङ्ग-रसद्भट-शृङ्ग-हतावटुके । कृत-चतुरङ्ग-बलक्षिति-रङ्ग-घटद्बहुरङ्ग-रटद्बटुके जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ८ ॥
Mon, 01 Feb 2016 - 6 - Mahishasuramardini-06
अयि शरणागत-वैरि-वधूवर-वीर-वराभय-दायकरे त्रिभुवन-मस्तक-शूल-विरोधि शिरोधि कृतामल-शूलकरे । दुमिदुमि-तामर-दुन्दुभिनाद-महो-मुखरीकृत-तिग्मकरे जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ६ ॥
Mon, 25 Jan 2016 - 5 - Mahishasuramardini-05
अयि रण-दुर्मद-शत्रु-वधोदित-दुर्धर-निर्जर-शक्तिभृते चतुर-विचार-धुरीण-महाशिव-दूतकृत-प्रमथाधिपते । दुरित-दुरीह-दुराशय-दुर्मति-दानवदूत-कृतान्तमते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ५ ॥
Mon, 18 Jan 2016 - 4 - Mahishasuramardini-04
अयि शतखण्ड-विखण्डित-रुण्ड-वितुण्डित-शुण्ड-गजाधिपते रिपु-गज-गण्ड-विदारण-चण्ड-पराक्रम-शुण्ड-मृगाधिपते । निज-भुज-दण्ड-निपातित-खण्ड-विपातित-मुण्ड-भटाधिपते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ४ ॥
Mon, 11 Jan 2016 - 3 - Mahishasuramardini-03
अयि जगदम्ब-मदम्ब-कदम्ब-वनप्रिय-वासिनि हासरते शिखरि शिरोमणि तुङ्ग-हिमालय-शृङ्ग-निजालय-मध्यगते । मधु-मधुरे मधु-कैटभ-गञ्जिनि कैटभ-भञ्जिनि रासरते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ ३ ॥
Mon, 04 Jan 2016 - 2 - Mahishasuramardini-02
सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते । दनुज-निरोषिणि दितिसुत-रोषिणि दुर्मद-शोषिणि सिन्धुसुते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ २ ॥
Tue, 29 Dec 2015 - 1 - Mahishasuramardini-01
अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दनुते गिरिवर-विन्ध्य-शिरोधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते । भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ १ ॥
Tue, 29 Dec 2015
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